Sunday, August 26, 2018

दु:ख और जिन्दगी

दु:ख  तो सभी की जिन्दगी में आते रहते हैं। कोशिश करिए ये कम समय के लिए  रहें, जितनी जल्दी हो इन्हें विदा कर दीजिए। इनका टिकना खतरनाक है। क्योंकि ये  जीवन में नकारात्मक पक्ष  है। यहीं से तनाव का आरम्भ होता है।
बड़ा गम भी  छुपा लेती है खुशी !

कभी वही गॉंठ बन जाती है दुःख की !!

जन्म एक घटना है और उसके साथ जो  हमें मिली है उसके सृजन का नाम जीवन है। इसलिए केवल मनुष्य होना पर्याप्त नहीं है। इस जीवन के साथ होने वाले संघर्ष को  स्वीकार करना और इसी  स्वीकृति में समाधान छुपा है। सत्संग, पूजा-पाठ, गुरु  इससे बचने और उभरने के उपाय हैं। इसी के साथ ऐसी स्थिति में एक काम और करिए जरा मुस्कुराइए   

Saturday, February 3, 2018

परिवार


समय के इस चौराहे पर  वो रिश्ते बदलने लगे हैं अब जब सुबह उठने के साथ हम अपनों का चेहरा नहीं मोबाईल की स्क्रीन देखने लगे हैं जब हमें अपनों की ख़ुशी से ज्यादा फेसबुक का हाल जानने में दिलचस्पी  रहती है एक ही छत के निचे  अपने परिवार में किसी से बात करने के लिए,  हम इन बेजान मशीनों पर निर्भर हो गए है  ये बातें सभी समझते हैं, सभी जानते हैं फिर भी  सब खामोश हैं,  शायद कहीं मन ही मन में ये मान चुके हैं सब ठीक है, सब समझदार हैं, सब समझ लेंगे लेकिन शायद ऐसा  नहीं हैं  धीरे धीरे सब दूर होते जाते हैं जीवन के अंतिम समय तक हमारे पास पैसे तो जुड़ते जाते हैं लेकिन उनको खुशियों के साथ खर्च करने के लिए लोगों की भीड़ कम होती जाती है शायद हम ये नहीं समझ पाते की  हैं  इन रिश्तों से बाहर निकलने के साथ ही जीवन में अंधकार है, जहां जीने का कोई मकसद ही नहीं बचता  जबकि सच्चा प्रेम दिलों में हमेशा एक सा बसंत बनाए रखता है
          ज़िन्दगी की इस बेतुकी सी दौड़ में जो कभी फुर्सत मिले तो पीछे पलट कर देखिये वो जो हमारी ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा ज़रूरी है वो कहीं पीछे छूट गया है वो प्यार जिसके बिना जीना बेमानी है  वो प्यार धीमे धीमे घुट रहा है हमारे ध्यान से कहीं दूर, और जब इन भटके हुए रास्तों पर दौड़ती हमारी ज़िन्दगी पलट कर देखती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है पैसों के पीछे भागते, इंसान बनने की कोशिश ज़रूर कीजिये और थाम लीजिये उन हाथों को जो अकेले हैं, तन्हा हैं हमारे प्यार के बिना  हैं








Tuesday, October 9, 2012

संविधान की प्रस्तावना


     " हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को  सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक   न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त  करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0  को एतद
  द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"

Friday, July 13, 2012

विश्वास

संबंध नाजुक डोर की तरह होते हैं। संबंधों में विश्वास नहीं होता  है तो  गलतफहमियां शुरू हो जाती हैं। जिंदगी की उलझनों से बचने के लिए विश्वास का होना बहुत जरूरी है। संबंधों में विश्वास की वजह से रिश्तो की डोर  हमेशा ठीक  बनी रहती  है। साथी में  विश्वस  बन गई तो फिर किसी भी बात को समझने और समझाने में दिक्कत नहीं होती है। विश्वास ही सारी गलतफहमी को दूर करता है। जिदंगी की गाड़ी को दूर तक चलाने के लिए जरूरी है कि  माता-पिता, घरवाले, रिश्तेदार, दोस्त आप पर विश्वास करें। विश्वास बनाने के बाद विश्वास को बनाये  रखना भी जरूरी होता है।

साथी से बात करते समय सच बोलना चाहिए और  साथी  को भी सच का साथ देना चाहिए और गलती से किया गया गलती गलत नहीं  समझना चाहिए और जब इस गलती के लिए साथी माफ़ी मांग रहा हो  या गलती मान रहा हो  तो  एक बार माफ़ कर देना चाहिए नहीं तो साथी सच बोलने से डरेगा और हो सकता है की वो आप से कभी भी सच न बोल पाय  !


संबंधों में दरार तभी पडती है जब उसमें झूठ  आता  है। हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि  साथी से किसी भी प्रकार का झूठ न बोलें। अक्सर  बोला गया झूठ जब दूसरे से सच के रूप मे सामने आता है तब साथी को ज्यादा दुख होता है। इसलिए सच ही बोलना चाहिए।


 साथी से कोई भी बात न छुपाएं। साथी से हर छोटी-बड़ी बातें बताया  कीजिए। अक्सर  छुपाई गई कोई बात किसी दोस्त के मुंह से  साथी को मालूम होती है तब उसे दुख होता है। बातें छुपाने का असर यह होता है कि संबंध खराब होने लगते हैं।  गलत भी नहीं हों फिर भी बातें छुपाने से साथी पर गहरा प्रभाव होता है।


 साथी को कोई दिक्कत या परेशानी है तो उसकी बातों को सुनकर उसे सुलझाने की कोशिश कीजिए। कई बार साथी किसी परेशानी की वजह से तनाव में रहता है। जिसकी वजह से वह किसी पर विश्वास नहीं करना चाहता है। ऐसे में  अपने साथी की उलझनों को सुलझाकर अपने संबंध बेहतर बना सकते हैं।


भागदौड की जिंदगी में समय सभी के लिए कीमती होता है। लेकिन  इस व्यस्तता और उलझनों को सुनने के लिए कोई नहीं होगा   साथी के लिए हमेशा समय निकालें जिससे कि  एक-दूसरे की जरूरतों के बारे में जानें और जिससे जिंदगी जीने में आसानी होगी। अगर आप कभी व्यस्त हो तो और समय पर न पहुंच पाएं तो इसकी जानकारी अपने  साथी को देनी चाहिए।


 विश्वास की कमी भी संबंधों के टूटने का  कारण बनती है। प्यार और संबंध का दूसरा नाम ही विश्वास होता है। जहां विश्वास नहीं है वहां पर रिश्ते टिक नहीं पाते हैं। गलत न भी हों, पर जीवनसाथी से बातें छिपाना उसके विश्वास को तोडने जैसा ही होता है।  किसी व्यवहार की वजह से साथी  का संदेह करना, कुछ बातें अनकही रह जाना, गलतफहमियो को दूर न करना  बातें अविश्वास को जन्म देती हैं।


साथी की पसंद का ध्यान रखने से विश्वास और बढता है। इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए कि  साथी के पसंद के हिसाब से काम कीजिए। ऐसी बाते और व्यवहार को करने से बचें जिसे  साथी पसंद ना करता हो।


समय की कमी और व्यस्तता के बीच विश्वास से ही रिश्ते बने रहते हैं और अगर  साथी पर विश्वास नहीं रखता है तो रिश्ता कुछ दिनों बाद या तो टूट जाता है या फिर समाप्त हो जाता है। इसलिए बेहतर रिश्ते के लिए विश्वास होना बहुत जरूरी है।

Saturday, August 20, 2011

सोच


यदि किसी के व्यक्तिगत जीवन में कोई कमजोरी है, इसलिए उससे दूर न जाएं । व्यक्तिगत कमजोरी किसमें नहीं होती है। अपनी कमजोरी को व्यक्ति स्वयं भी पसन्द नहीं करता है। इसलिए उसकी कमजोरी को अनदेखी करें और व्यक्तिगत विशेषताओं को देखें। बहुत घनिष्ठता भले ही न बढ़ाएं लेकिन व्यवहार जरुर ठीक रखें। सम्बन्धों का आधार अच्छाईयाँ होना चाहिए। जीवन अच्छाई-बुराईं के मेल से बनता है। किसी में भी सारी अच्छाईयाँ या सारी बुराईयाँ नहीं हो सकती है। किसी की व्यक्तिगत कमजोरी या बुरी आदत उसकी अपनी समस्या है।
यदि आपको कोई आपकी कमजोरी के कारण सम्बन्ध न रखें तो आपको कैसा लगेगा? आपमें ही नहीं सबमे कुछ न कुछ बुराईयाँ-अच्छाईयाँ होती है। अच्छाईयाँ देखें। अच्छे मूड़ में व्यक्ति स्वयं अपनी बुराईयों को स्वीकारता है एवं उन्हें पसन्द भी नहीं करता है। बुराईयों से लड़ना उसके वस में नहीं है। वरना उस कमजोरी से वह बाहर आ सकता है इस आधार हमें अपना रिश्ता नहीं छोड़ना चाहिए। साथ रहकर व्यक्ति को समझकर उसको बदला जा सकता है। मात्र बुराई करने से या दूर जाने से कुछ हल नहीं होता है............ "ये मै सोचता हूँ आप क्या सोचते है वो समाज में दिखेगा "

Wednesday, September 29, 2010

राम जन्म भूमि और बाबरी मह्जिद & CWG 2010


दोस्तों मै सुरेन्द्र !

आज 60 साल बाद सरकार नींद से जागी है जहाँ हम सब भारतीय खुश रहने की कोशिश कर रहे थे वही पर राम जन्म भूमि और बाबरी मह्जिद का ये आधिकार देने जा रही है की यह जमीन किसका है राम जन्म भूमि का या फिर बाबरी मह्जिद का लेकिन सोचने की बात है की यदि जमीन का आधिकार राम जन्म भूमि को मिलता है तो हिन्दू भाई खुश रहेंगे और कुछ मुशलमन भाई गुसे में होंगे, और यदि आधिकार बाबरी मह्जिद को मिलता है तो मुशलमन भाई खुश रहेंगे और हिन्दू समाज गुसे में होगा और जहाँ तक मुझे मालूम है की भारत में आये दिन हिन्दू - मुस्लिम में अन- बन होते रहा है तो फिर भी सरकार ये आधिकार देने क्यों जा रही है दोस्तों किसी तरह का कोई गलत कदम न ले क्योकि मरने वाला हिन्दू -मुशलिम नहीं होता वो तो एक इंसान होते है

दोस्तों भारत में होने जा रही 3 oct 2010 से राष्ट्रमंडल खेल और भारत इसका तैयारी पिछले 8 साल से कर रही है और इस तैयारी में हजारो जाने जा चुकी है भारत सरकार आपनी बहुत ही बड़ी पूंजी लगा दी है इस खेल में, और सब से बड़ी बात ये है की "हम सब से भी बड़ा वो है भारत देश की इज्जत " हम सब भारतीय है

आज जरुरत है की हम दिखा दे की, हम हिन्दू - मुशलिम नहीं है केवल हम सब भारतीय है

जय हिंद जय भारत

Wednesday, August 25, 2010

तुम कब लोट आ वोगे ......


मुझे नहीं पता चिड़िये के उस जोड़े को
कितना समय लगा होगा अपना घोसला बनाने में
फिर उसने अंडा दिया उसे बचाया ....
वर्षा /धुप /शीत और दुश्मनों से
रोज बच्चों को छोड़कर उसकी माँ .....सुबह में
निकल जाती घोसले से खाने की तलाश में
शाम को उसे बड़ा सकून मिलता
जब वह बच्चों के चोंच में डालती अन्न के दाने
समय गुजरता गया माँ के बाहर निकले , बच्चे
देश-दुनिया देखा ... उन्हें अपना घोसला छोटा नज़र आया
फिर कुछ बाद .... वे बच्चे लौटकर घर न आये

चिड़ियों का जोड़ा अब वृद्ध हो चूका है
उसे अब भी इंतज़ार है अपने लाडलों के आने का

"क्या उसके बच्चे अपने माँ -बाप को देखने लौटेगे " जरा सोचिए ........................