Saturday, August 20, 2011

सोच


यदि किसी के व्यक्तिगत जीवन में कोई कमजोरी है, इसलिए उससे दूर न जाएं । व्यक्तिगत कमजोरी किसमें नहीं होती है। अपनी कमजोरी को व्यक्ति स्वयं भी पसन्द नहीं करता है। इसलिए उसकी कमजोरी को अनदेखी करें और व्यक्तिगत विशेषताओं को देखें। बहुत घनिष्ठता भले ही न बढ़ाएं लेकिन व्यवहार जरुर ठीक रखें। सम्बन्धों का आधार अच्छाईयाँ होना चाहिए। जीवन अच्छाई-बुराईं के मेल से बनता है। किसी में भी सारी अच्छाईयाँ या सारी बुराईयाँ नहीं हो सकती है। किसी की व्यक्तिगत कमजोरी या बुरी आदत उसकी अपनी समस्या है।
यदि आपको कोई आपकी कमजोरी के कारण सम्बन्ध न रखें तो आपको कैसा लगेगा? आपमें ही नहीं सबमे कुछ न कुछ बुराईयाँ-अच्छाईयाँ होती है। अच्छाईयाँ देखें। अच्छे मूड़ में व्यक्ति स्वयं अपनी बुराईयों को स्वीकारता है एवं उन्हें पसन्द भी नहीं करता है। बुराईयों से लड़ना उसके वस में नहीं है। वरना उस कमजोरी से वह बाहर आ सकता है इस आधार हमें अपना रिश्ता नहीं छोड़ना चाहिए। साथ रहकर व्यक्ति को समझकर उसको बदला जा सकता है। मात्र बुराई करने से या दूर जाने से कुछ हल नहीं होता है............ "ये मै सोचता हूँ आप क्या सोचते है वो समाज में दिखेगा "