Friday, July 13, 2012

विश्वास

संबंध नाजुक डोर की तरह होते हैं। संबंधों में विश्वास नहीं होता  है तो  गलतफहमियां शुरू हो जाती हैं। जिंदगी की उलझनों से बचने के लिए विश्वास का होना बहुत जरूरी है। संबंधों में विश्वास की वजह से रिश्तो की डोर  हमेशा ठीक  बनी रहती  है। साथी में  विश्वस  बन गई तो फिर किसी भी बात को समझने और समझाने में दिक्कत नहीं होती है। विश्वास ही सारी गलतफहमी को दूर करता है। जिदंगी की गाड़ी को दूर तक चलाने के लिए जरूरी है कि  माता-पिता, घरवाले, रिश्तेदार, दोस्त आप पर विश्वास करें। विश्वास बनाने के बाद विश्वास को बनाये  रखना भी जरूरी होता है।

साथी से बात करते समय सच बोलना चाहिए और  साथी  को भी सच का साथ देना चाहिए और गलती से किया गया गलती गलत नहीं  समझना चाहिए और जब इस गलती के लिए साथी माफ़ी मांग रहा हो  या गलती मान रहा हो  तो  एक बार माफ़ कर देना चाहिए नहीं तो साथी सच बोलने से डरेगा और हो सकता है की वो आप से कभी भी सच न बोल पाय  !


संबंधों में दरार तभी पडती है जब उसमें झूठ  आता  है। हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि  साथी से किसी भी प्रकार का झूठ न बोलें। अक्सर  बोला गया झूठ जब दूसरे से सच के रूप मे सामने आता है तब साथी को ज्यादा दुख होता है। इसलिए सच ही बोलना चाहिए।


 साथी से कोई भी बात न छुपाएं। साथी से हर छोटी-बड़ी बातें बताया  कीजिए। अक्सर  छुपाई गई कोई बात किसी दोस्त के मुंह से  साथी को मालूम होती है तब उसे दुख होता है। बातें छुपाने का असर यह होता है कि संबंध खराब होने लगते हैं।  गलत भी नहीं हों फिर भी बातें छुपाने से साथी पर गहरा प्रभाव होता है।


 साथी को कोई दिक्कत या परेशानी है तो उसकी बातों को सुनकर उसे सुलझाने की कोशिश कीजिए। कई बार साथी किसी परेशानी की वजह से तनाव में रहता है। जिसकी वजह से वह किसी पर विश्वास नहीं करना चाहता है। ऐसे में  अपने साथी की उलझनों को सुलझाकर अपने संबंध बेहतर बना सकते हैं।


भागदौड की जिंदगी में समय सभी के लिए कीमती होता है। लेकिन  इस व्यस्तता और उलझनों को सुनने के लिए कोई नहीं होगा   साथी के लिए हमेशा समय निकालें जिससे कि  एक-दूसरे की जरूरतों के बारे में जानें और जिससे जिंदगी जीने में आसानी होगी। अगर आप कभी व्यस्त हो तो और समय पर न पहुंच पाएं तो इसकी जानकारी अपने  साथी को देनी चाहिए।


 विश्वास की कमी भी संबंधों के टूटने का  कारण बनती है। प्यार और संबंध का दूसरा नाम ही विश्वास होता है। जहां विश्वास नहीं है वहां पर रिश्ते टिक नहीं पाते हैं। गलत न भी हों, पर जीवनसाथी से बातें छिपाना उसके विश्वास को तोडने जैसा ही होता है।  किसी व्यवहार की वजह से साथी  का संदेह करना, कुछ बातें अनकही रह जाना, गलतफहमियो को दूर न करना  बातें अविश्वास को जन्म देती हैं।


साथी की पसंद का ध्यान रखने से विश्वास और बढता है। इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए कि  साथी के पसंद के हिसाब से काम कीजिए। ऐसी बाते और व्यवहार को करने से बचें जिसे  साथी पसंद ना करता हो।


समय की कमी और व्यस्तता के बीच विश्वास से ही रिश्ते बने रहते हैं और अगर  साथी पर विश्वास नहीं रखता है तो रिश्ता कुछ दिनों बाद या तो टूट जाता है या फिर समाप्त हो जाता है। इसलिए बेहतर रिश्ते के लिए विश्वास होना बहुत जरूरी है।

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